सत्य क्या है,असत्य क्या है,यह तो शास्त्र,संत,गुरु मुख वाणी है,जिसमे देव वाणी,शक्ति संवाद,ॠषि मुनि संवाद का विशाल संकलन है।मंत्र,पूजा,अनुष्ठान,तंत्र क्रियाएँ सब धोखा मात्र है।ज्योतिष,हस्तरेखा,रत्न कोरी कल्पना मात्र है।ये साधु,प्रवचनकर्ता,संस्थाने सब अधिक प्रचार प्रसार कर सीधे साधे लोगो को धोखा देना है।तभी तो सामान्य जीवन जीने वाले साधारण लोग अनेक समस्या से ग्रसित भले हो,परन्तु ये उपर्युक्त सभी क्षेत्र वाले मालामाल है।जो जितना योग्य है,वक्ता है,विशेष प्रतिष्ठा अर्जित कर रहे है।जितनी भीड़ आयेगी वह उतने सफल होंगे।क्या ये सत्य के राह पर चलना हुआ या असत्य के राह पर?ये आप हम सभी को अपनी अन्तरआत्मा से पूछना पड़ेगा,समझना पड़ेगा।आज कल इतना धोखा,इतना प्रपंच कितना सस्ता है ये धर्म का दुकान।यहा भगवान,मंत्र,यंत्र को बेचा जाता है।प्रचार आता है,कि श्रीयंत्र,या अमूक यंत्र पूर्ण विधान से प्रतिष्ठा करा कर भेजा जा रहा है शीघ्र आर्डर करे।वाह भाई वाह खूब रही लक्ष्मी यंत्र को बेच बेच कर करोड़ों रुपया कमा कर आप सही में लक्ष्मीवान बन गये।धन्य है लक्ष्मी उपासक आप पर माँ लक्ष्मी की भी दया,करुणा से आपको देख रही है।मेरा भक्त,मेरा व्यापार कर के लक्ष्मीवान बन गया,खुश रहो भक्त।मोक्ष क्या जाने,ज्ञान क्या जानूँ,सिर्फ रुपया इसे क्या जन कल्याण में लगाओगे या अपना भोग का साधन बनाओगे।
इसलिए कोई धर्म के मार्ग में धोखा,पाखंड कर रहे या भला कार्य ये तो उस व्यक्ति के संस्कार पर निर्भर है।अगर विरोध करना है तो उस क्षेत्र में जा कर अवलोकन करे तभी सत्य,असत्य का भेद पता चलेगा।श्रीकृष्ण ब्रह्म है परंतु दुर्योधन उन्हे मायावी समझता था ।ये तो कृष्ण की उस दिव्य लीला को समझ नहीं पाया और महाभारत जैसे विध्वंसकारी महायुद्ध का कारण बना।ऐसे लोगों से सृष्टि और प्रकृति का कोप आम जनमानस को सहना पडंता है।अपनी सुधार समाज का सुधार है।किसी में दोष ना देख कर प्रत्येक रात्रि विचार करे कि दिन भर हम कोई गलत कार्य तो नहीं कर दिये।
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