वृष लग्न वाले जातक भौतिक रुप से ज्यादा जुड़े रहते है।ये सुंदर शरीर,मेहनत करने वाले होते है।सहनशक्ति से युक्त वस्त्र एवं सुख सुविधा में रहने वाले मधुरभाषी,यश प्राप्त करने वाले,उदार एवं अच्छे रहन सहन में जीते है।धार्मिक विचार से युक्त,स्वभाव से कभी कभी उग्र हो जाते है।ये बुद्धिमान,मिलनसार,हठी तथा कामुक भी हो सकते है।किसी कला में प्रवीण,संगीत,सुंदरता,भोग,विलास में रुचि रखने वाले होते है।ये बुद्धिमान होते हुये भी कभी मोटी बुद्धी का काम कर जाते है।
जबकि ये विद्वान भी होते है।ये उदारता के साथ अपना लाभ पहले देखते है।अगर लग्नेश निच का हो,तो मानसिक रुप से अस्वस्थ रहते है,तथा हमेशा तनाव में कुछ कुछ सोचते रहते है।अगर शुक्र ऊँच का हो,तो बहुत प्रभावशाली होकर धन,मान सम्मान,पद,प्रतिष्ठा,सुंदर मकान एवं वाहन का भोग भी करते है।इस लग्न का शुभ ग्रह बुध और शनि हो जाते है।अगर ये शुभ प्रभाव में हो,तो इनकी ख्याति दूर दूर तक फैल जाती है।अगर द्वितीय एवं तृतीय भाव शुभ हो,तो ये संगीत के क्षेत्र में विशेष महारत हासिल करते है।इनका प्रेम क्षेत्र विस्तृत होता है।ये सुंदरता के विशेष प्रेमी होते है,परन्तु ऐसे जातक स्वच्छता पसंद जीवन जीने वाले होते है।कभी कभी इनकी पत्नी थोड़ी हठी भी मिल जाती है,परन्तु पति को सम्मान देने वाली होती है।ऐसे जातक को विदेश योग भी रहता है।प्रथम एवं द्वितीय संतान के बाद इनके जीवन में धन की विशेष वृद्धि होती है।इनकी सबसे बड़ी बात यह होती है,कि ये हमेशा खुश रहने वाले,सभी को सम दृष्टि से देखते है।लेकिन कभी कभी थोड़ा हठी,एकाकी भी हो सकते है,अगर सूर्य अशुभ भाव में हो तो।अगर चंद्र द्वितीय और तृतीय भाव में हो,तो आवाज में मधुरता रहती है,साथ में इनके संगीत का जादू सभी पर चल जाता है।बुध निच का हो,या चंद्र कमजोर हो,तो ये उदास,भावुक तथा हमेशा दर्दभरे जीवन से प्रभावित होते है।ये प्रशासनिक अफसर,अभिनेता,वक्ता,गायक तथा कोई भी अच्छा पद प्राप्त कर सकते है।सफेद,हरा,काला वस्त्र अतिशुभ होता है,वही पीला,लाल नकारात्मक शक्ति को बढ़ाता है।इनकी भाग्यवृद्धि २४,२८ विशेष ३६वां वर्ष होता है।ये अगर अपने वाणी और क्रोध पर अंकुश रखे,तो ये अपनी बुद्धि से बड़ा बड़ा काम निकाल लेते है।
जबकि ये विद्वान भी होते है।ये उदारता के साथ अपना लाभ पहले देखते है।अगर लग्नेश निच का हो,तो मानसिक रुप से अस्वस्थ रहते है,तथा हमेशा तनाव में कुछ कुछ सोचते रहते है।अगर शुक्र ऊँच का हो,तो बहुत प्रभावशाली होकर धन,मान सम्मान,पद,प्रतिष्ठा,सुंदर मकान एवं वाहन का भोग भी करते है।इस लग्न का शुभ ग्रह बुध और शनि हो जाते है।अगर ये शुभ प्रभाव में हो,तो इनकी ख्याति दूर दूर तक फैल जाती है।अगर द्वितीय एवं तृतीय भाव शुभ हो,तो ये संगीत के क्षेत्र में विशेष महारत हासिल करते है।इनका प्रेम क्षेत्र विस्तृत होता है।ये सुंदरता के विशेष प्रेमी होते है,परन्तु ऐसे जातक स्वच्छता पसंद जीवन जीने वाले होते है।कभी कभी इनकी पत्नी थोड़ी हठी भी मिल जाती है,परन्तु पति को सम्मान देने वाली होती है।ऐसे जातक को विदेश योग भी रहता है।प्रथम एवं द्वितीय संतान के बाद इनके जीवन में धन की विशेष वृद्धि होती है।इनकी सबसे बड़ी बात यह होती है,कि ये हमेशा खुश रहने वाले,सभी को सम दृष्टि से देखते है।लेकिन कभी कभी थोड़ा हठी,एकाकी भी हो सकते है,अगर सूर्य अशुभ भाव में हो तो।अगर चंद्र द्वितीय और तृतीय भाव में हो,तो आवाज में मधुरता रहती है,साथ में इनके संगीत का जादू सभी पर चल जाता है।बुध निच का हो,या चंद्र कमजोर हो,तो ये उदास,भावुक तथा हमेशा दर्दभरे जीवन से प्रभावित होते है।ये प्रशासनिक अफसर,अभिनेता,वक्ता,गायक तथा कोई भी अच्छा पद प्राप्त कर सकते है।सफेद,हरा,काला वस्त्र अतिशुभ होता है,वही पीला,लाल नकारात्मक शक्ति को बढ़ाता है।इनकी भाग्यवृद्धि २४,२८ विशेष ३६वां वर्ष होता है।ये अगर अपने वाणी और क्रोध पर अंकुश रखे,तो ये अपनी बुद्धि से बड़ा बड़ा काम निकाल लेते है।
No comments:
Post a Comment