"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"

Monday, February 28, 2011

कमला

कांती और शांति देती है,वही कमला है।ये महालक्ष्मी का रुप है,श्री विष्णु शक्ति है।ये शिव शाक्त की विशेष शक्ति है।जीव हमेशा अशांत रहता है,कारण कुछ कुछ हो,उस अशांति से साधक को विशेष धन,देकर,धर्म,कर्म में रुचि बढ़ाकर,विशेष पुण्य की ओर ले जाती है।धन के बिना कोई साधना कठिन है।ये जो ऐश्वर्य सुख देती है,वह सुकर्म के द्वारा प्राप्त होता है।शारीरीक पुष्टता,तेज,ओज,चमक के साथ,परम शांति प्रदान करती है।
चिंता करो,अशांत इसलिए थे कि,मोह,अहंकार,माया,पद,ईर्ष्या से तुम एकाकार होते रहे।अब सारे बंधन काट लिए हो,अब आराम से समाधि लेते रहो।लोगों में शांति प्रदान करो,दूसरों को मदद करो,जीव का सहायक बनो।यही तुम्हें परम शांत स्वरुप का बोध करायेगा।तुम शांत हो,अचल हो,यही स्वभाव,वही स्वरुप प्रकट करा कर दिव्य दर्शन की ओर ले जाती है।

मांतगी

मद का जो नाश करती हैं,वही मांतगी है।सारे अच्छाई को ये मद नाश करता हैं।पद ,हो या बल आप बहुत प्रसिद्ध है,धनी है या भक्त अगर इसमें अहम जाये तो यह मद ही हुआ। यह मद जीव को बांधता हैं,तो उस बंधन से मुक्त करती है यह मांतगी।
कितने पुण्य प्रभाव के बाद हमे मानव का जीवन मिला हैं।इस अमूल्य जीवन को हमे ऐसा करना चाहिए की मद का नशा इसे छू पाये इस मद से बचाती है मांतगी।मांतगी की साधना करने इस मद के नाश के साथ हमारी वाणी मधुर हो जाती हैं।ये संगीत की देवी है,मोहक आवाज,सुर का लय इनकी कृपा से प्राप्त हो जाता हैं।बिगड़े स्वर ठीक हो जाता है,वही बन्द स्वर भी खुल जाता है,जिवन में प्रेम का उदय होता है।हमारे सारे मदों का नाश कर ये हमें आगे बढ़ा देती हैं।

Sunday, February 27, 2011

श्री बगलामुखी (पीताम्बरा माई)

विश्व की रक्षा करने वाली हैं,साथ जीव की जो रक्षा करती हैं,वही बगलामुखी हैं।स्तम्भन शक्ति के साथ ये त्रिशक्ति भी हैं।अभाव को दूर कर,शत्रु से अपने भक्त की हमेशा जो रक्षा करती हैं।दुष्ट जन,ग्रह,भूत पिशाच सभी को ये तत्क्षण रोक देती हैं।आकाश को जो पी जाती हैं,ये विष्णु द्वारा उपासिता श्री महा त्रिपुर सुन्दरी हैं। 
ये पीत वस्त्र वाली,अमृत के सागर मे दिव्य रत्न जड़ित सिंहासन पर विराजमान हैं।ये शिव मृत्युञ्जय की शक्ति हैं।ये अपने भक्तों   के कष्ट पहुँचाने वाले को बाँध देती हैं,रोक देती है।ये उग्र शक्ति के साथ,बहुत भक्त वत्सला भी हैं,परम करूणा के साथ भक्त के प्रत्यक्ष या गुप्त शत्रु को रोक देती हैं।ये वैष्णवी शक्ति हैं,ये शीघ्र प्रभाव दिखाती है,इस लिए इन्हें सिद्ध विद्या भी कहा जाता हैं।गुरू,शिव जब कृपा करते है तो ही इनकी साधना करने का सौभाग्य प्राप्त हो पाता हैं।वाम,दक्षिण दोनो आचार से इनकी पूजा होती हैं परन्तु दक्षिण मार्ग से इनकी पूजा शीघ्र फलीभूत होती हैं।ये काली,श्यामा के ही सुन्दरी,ललिता की एक दिव्य मूर्ति हैं।इनकी उपासना में अनुशासन,शुद्धता,के साथ गुरू की कृपा ही सर्वोपरि हैं।इनकी उपासना से साधक त्रिकालदर्शी होकर भोग के साथ मोक्ष भी प्राप्त कर लेता है,इनके कई मंत्र के जप के बाद मूल मंत्र का जप किया जाता है,कवच,न्यास,स्तोत्र पाठ के साथ अर्चन भी किया जाता हैं,इनका ३६ अक्षर मंत्र ही मूल मंत्र कहलाता हैं।इनकी साधना के अंग पूजा में प्रथम गुरू,गणेश,गायत्री,शिव,वटुक के साथ विडालिका यक्षिणी,योगिनी का पूजा अनिवार्य माना जाता हैं।ये विश्व की वह शक्ति हैं,जिनके कृपा से,चराचर जगत स्थिर रहता हैं।
ये ब्रह्म विद्या है इनकी साधना में शुद्धता के साथ जप,ध्यान के साथ गुरू कृपा मुख्य हैं।इनके जप से कुन्डलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है,इनके साधक कोई भी आसुरी शक्ति एक साथ मिलकर भी परास्त नहीं कर सकता,ये अपने भक्तों की सदा रक्षा करती है।विश्व की सारी शक्ति मिलकर भी इनकी बराबरी नहीं कर सकते हैं।  कई जन्म के पुण्य प्रभाव से इनकी साधना करने का सौभाग्य प्राप्त होता हैं।पुस्तक से देखकर या कही से सुनकर इनका मंत्र जप करने से कभी कभी जीवन मे उपद्रव शुरू हो जाता है।इसलिए बिना गूरू कृपा के इनकी साधना करें।भारत में इनके मंदिर तो कितने है,परन्तु इनका विशेष साधना पीठ श्री पीताम्बरा पीठ,दतिया मध्य प्रदेश हैं।ये शुद्ध विद्या है,इनकी महिमा जगत में विख्यात हैं।इनकी कृपा से चराचर जगत वश में रहता है,इनकी साधना करने से ये अपने भक्त को सभी प्रकार से देखभाल करती है।ये परम दयामयी तथा करूणा रखती है।