"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"

Saturday, March 19, 2011

होली का त्योहार


एक रंग नहीं,सारे रंगों से रंग जाए,रंग दे,यही होली का त्योहार है।होली के त्योहार के बारे में हमारा सनातन धर्म क्या कहता है,इसपर विचार करें।बुराई पर अच्छाई का विजय दिवस होली है,साथ ही हमारा १०० वाँ बिहार दिवस भी असत्य पर सत्य का विजय दिवस ही है।एक परम भक्त प्रहलाद जो हरि भक्त था,परंतु असुर राजा के घर मे जन्म लेकर,असुरों की संस्कृति जो घृणित और अहंकार से युक्त था।उसे विश्व मानव कल्याणार्थ भक्ती की पराकाष्टा मे आकर पिता के द्वारा एक असुर स्त्री जो मायावी और अग्नि सिद्धि की स्वामीनी थी,जो भक्त प्रहलाद को गोद मे रखकर अग्नि मे जलाकर मार डालना चाहती थी,कारण वह राक्षसी रूपा स्त्री को अग्नि की सिद्धि थी।हरि कृपा से वह मायावी स्त्री होलीका प्रहलाद को जलाने के क्रम मे खूद जलकर मर गई और प्रहलाद सकुशल बाहर निकल गये।भक्ती की शक्ति,आसुरी शक्ति पर दैविक शक्ति की विजय श्री,यही हमे सिखाता है कि हम होली के एक रोज पूर्व होलिका दहन करते हैं।भक्त प्रहलाद के बच जाने की खुशी या यूं कहिये की आसुरी शक्ति विनाश के उपलक्ष्य में इन रंग बिरंगे होली का त्योहार करने की विशेष खुशी उमंग प्रदान करती है।इन्हीं भक्त की रक्षा हेतु भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार धारण कर भक्त की रक्षा किये है।होली पर मैने पहले ही नृसिंह मंत्र प्रयोग दे दिया है।होली मे लोग एकदम हो हल्ला,मारधाड़ करके मनाते है यह गलत बात है,भक्ति प्रेम के इस त्योहार में अबीर,गुलाल,स्वादिष्ट व्यंजन ही सुख प्रद है।शत्रु को भी मित्र बना ले तथा अपनी गलत आदतों को त्याग कर उस सात्वीक दैविक शक्ति से हम अपने जीवन मे भक्त और भगवान की उस लीला से ध्यान मग्न होते रहे।आज पूरा विश्व प्रलय के कगार पर है,क्या हम सभी का धर्म नही बनता की एक बार हम स्वयं को भक्ति मार्ग का अनुसरण कर उन दीन बंधु परमात्मा को पुकारे की वो आकर धरती की रक्षा कर सके।इस होली के शुभ अवसर पर सभी को मेरी बधाई और मंगल कामना।